नीड का निर्माण फ़िर फ़िर,
नेह का आव्हान फ़िर फ़िर|
यह उठी आँधी कि नभ में
छा गया सहसा अँधेरा|
धूलि धूसर बादलों ने
भूमि को इस भाँती घेरा,
रात सा दिन हो गया
फिर रात आई और काली|
लग रहा था अब न होगा
इस निशा का फिर सवेरा|
रात के उत्पात भय से
भीत जन जन भीत कण कण,
किंतु प्राची से उषा की
मोहिनी मुस्कान फ़िर फ़िर|
नीड का निर्माण फ़िर फ़िर,
नेह का आव्हान फ़िर फ़िर|
क्रुद्ध नभ के वज्र दंतों में
उषा है मुसकराती,
घोर गर्जनमय गगन के
कंठ में खग पंक्ति गाती|
एक चिडिया चोंच में तिनका लिए
जो जा रही है,
वह सहज में ही पवन
उनचास को नीचा दिखा रही है|
नाश के दुःख से कभी
दबता नहीं निर्माण का सुख,
प्रलय की निस्तब्धता में
सृष्टि का नवगान फ़िर फ़िर|
नीड का निर्माण फ़िर फ़िर,
नेह का आव्हान फ़िर फ़िर|
Meanings:
Need = Nest
Neh = Love
Aavhan = Summons
Nabh = Sky
Sahasaa = Suddenly/Overnight
Dhooli Dhoosar = Dusty and Grey
Nisha = Night
Utpaat = disorder
Bheet = Scared
Prachi = East
Usha = Dawn
Mohini = Enchanting
Kruddha = Angry
Vajradant = diamond-teeth
Kanth =Throat
Khag = Birds
Pankti = Line
Sahaj = Easily
Pralay = Catastrophe
Nistabdhata = Silence
Srushti = Nature
नेह का आव्हान फ़िर फ़िर|
यह उठी आँधी कि नभ में
छा गया सहसा अँधेरा|
धूलि धूसर बादलों ने
भूमि को इस भाँती घेरा,
रात सा दिन हो गया
फिर रात आई और काली|
लग रहा था अब न होगा
इस निशा का फिर सवेरा|
रात के उत्पात भय से
भीत जन जन भीत कण कण,
किंतु प्राची से उषा की
मोहिनी मुस्कान फ़िर फ़िर|
नीड का निर्माण फ़िर फ़िर,
नेह का आव्हान फ़िर फ़िर|
क्रुद्ध नभ के वज्र दंतों में
उषा है मुसकराती,
घोर गर्जनमय गगन के
कंठ में खग पंक्ति गाती|
एक चिडिया चोंच में तिनका लिए
जो जा रही है,
वह सहज में ही पवन
उनचास को नीचा दिखा रही है|
नाश के दुःख से कभी
दबता नहीं निर्माण का सुख,
प्रलय की निस्तब्धता में
सृष्टि का नवगान फ़िर फ़िर|
नीड का निर्माण फ़िर फ़िर,
नेह का आव्हान फ़िर फ़िर|
Meanings:
Need = Nest
Neh = Love
Aavhan = Summons
Nabh = Sky
Sahasaa = Suddenly/Overnight
Dhooli Dhoosar = Dusty and Grey
Nisha = Night
Utpaat = disorder
Bheet = Scared
Prachi = East
Usha = Dawn
Mohini = Enchanting
Kruddha = Angry
Vajradant = diamond-teeth
Kanth =Throat
Khag = Birds
Pankti = Line
Sahaj = Easily
Pralay = Catastrophe
Nistabdhata = Silence
Srushti = Nature
0 Comments:
Post a Comment
<< Home